ब्रह्माकुमारीज संस्थान की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदम्बा सरस्वती जी का 59वां स्मृति दिवस आध्यात्मिक ज्ञान दिवस के रूप में मनाया गया

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संस्थान से जुड़े सभी भाई – बहनों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। साथ ही प्रभु प्रसाद स्वीकार किया।

त्याग, तपस्या और समर्पण से मानव समुदाय को जीवनमुक्ति की राह दिखाई – राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी छाया दीदी।

 

सागर

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सागर सेवाकेंद्र पर संस्थान की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदम्बा सरस्वती जी के पुण्य स्मृति दिवस का आयोजन किया गया। राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी छाया दीदी ने मातेश्वरी जी के बारे में बताते हुए कहा कि मातेश्वरी जी का जन्म 1919 में अमृतसर में एक सामान्य परिवार में हुआ था। आपके बचपन का नाम ‘राधे’ था। जब मातेश्वरी जी ‘ओम’ की ध्वनि का उच्चारण करती थी तो पूरे वातावरण में गहन शांति छा जाती थी। इसलिए आप ‘ओम राधे’ के नाम से लोकप्रिय हुई।मातेश्वरी जी ने 24 जून 1965 को अपने नश्वर देह को त्याग करके सम्पूर्णता को प्राप्त किया था। इस दिवस को ब्रह्माकुमारीज संस्थान के देश विदेश के भाई – बहने आध्यात्मिक ज्ञान दिवस के रूप में मनाते है।

 

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त्याग, तपस्या की साक्षातमूर्ति

मातेश्वरी जगदम्बा जी का व्यक्तित्व समस्त नारी जगत के लिए गौरव और प्रेरणा का स्त्रोत है। मातेश्वरी जी ने आध्यात्मिक शक्ति के द्वारा मानवता की सेवा के पथ को उस समय चुना,जब नारियों को घर से बाहर निकलने की अनुमति नही होती थी।भारतीय संस्कृति के उत्थान के लिए मातेश्वरी जी का यह त्याग, समर्पण और सेवा समस्त भारत तथा विश्व के लिए अत्यंत गौरव का विषय है।त्याग, तपस्या से मानव समुदाय को जीवनमुक्ति की राह दिखाई।भारतीय संस्कृति सभ्यता एवं मानवीय मूल्यों की आध्यात्मिक शिक्षा आज 140 देशों में पहुँच रही है।

 

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कन्याओं और माताओं के अनोखे दल का किया नेतृत्व

ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान विश्व भर में एक मात्र ऐसा संस्थान है जो नारी शक्ति के द्वारा संचालित हैं। जिसकी शुरुआत ही दुर्गा,लक्ष्मी,सरस्वती,शीतला देवी स्वरूपा मातेश्वरी जगदम्बा जी के द्वारा हुई। संस्थान के संस्थापक पिताश्री ब्रह्मा बाबा के साथ नैतिकता का ध्वज अपने हाथ में मजबूती से लिये हुए कुमारियों और माताओं के एक ऐसे अनोखे दल का नेतृत्व कर रही थीं कि जिसका स्मरण कर उस शक्ति स्वरूपा के सामने जन-जन के मस्तक झुक जाते है।इससे उनकी निर्भयता, दृढ़ता,अडिग, साहस, सहनशीलता और नैतिक बल की पराकाष्ठा का स्पष्ट परिचय मिलता है।माँ की तरह अपने बच्चों की हर प्रकार से रक्षा की। मम्मा बहुत गुणवान थीं। वह गुप्त तपस्विनी थीं। देखने में साधारण लगती थीं लेकिन वह गुणों की खान थीं। किसी ने भी मम्मा का मूड ऑफ होते कभी नहीं देखा। बाबा के हर वचन का पालन शीघ्र और सम्पूर्ण रूप से किया करती थीं। मम्मा में पालना की शक्ति अद्भुत थी।मम्मा का जीवन नेचुरल था। उनका स्वभाव बहुत सरल था। मिठास थी उनके व्यवहार में। उनमें सदा यह भाव रहता था कि सबको आगे बढ़ाए। मम्मा हरेक की योग्यता और विशेषता अनुसार वही कार्य दिया करती थीं जो वह सहज कर सके।

 

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परमात्मा की श्रीमत पर अचल

मातेश्वरी जी परमात्म ज्ञान की दीवानी थी।एक चात्रक पक्षी के समान ज्ञान को सुनती और धारण करती। मातेश्वरी जी हमेशा दो बातों को याद रखती थी , एक हर घड़ी अंतिम घड़ी है, दूसरी हुकमी हुकुम चला रहा हैज्ञान की साधना में सबसे आगे जाने का पुरूषार्थ मातेश्वरी जी छोटी सी आयु में ही कर लिया था।

 

ब्रह्माकुमारी नीलम दीदी जी ने कहा सच्ची श्रद्धांजलि मातेश्वरी जगदम्बा जी आधुनिक युग की चैतन्य देवी थी उन्होंने ईश्वरीय ज्ञान,गुण और शक्तियों को धारण करके लोगों को अनुभव कराने का दिव्य वरदान प्राप्त था।उनके दिखाए गए मार्ग पर चलते हुए ब्रह्माकुमारीज संस्थान विश्व सेवा का जो महान कार्य कर रही है यह मातेश्वरी जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।

 

संस्थान से जुड़े सभी भाई – बहनों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। साथ ही प्रभु प्रसाद स्वीकार किया।इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी सरस्वती दीदी,ब्रह्माकुमारी ज्योति दीदी ब्रह्माकुमारी लक्ष्मी दीदी,ब्रह्माकुमारी दीपिका दीदी, ब्रह्माकुमारी खुशबू दीदी सहित भाई बहन उपस्थित रहे।

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