अल्लाह की नेमतों का शुक्र अदा करने वाले बन जाएं, कामयाब हो जाएंगे : काजी मुश्ताक

खान आशु
भोपाल। अल्लाह ने हमें दीन दिया, दुनिया में किए जाने वाले अमल सिखाए, दुनियावी और सामाजिक व्यवहार की समझ भी दी। हम अल्लाह की इन नेमतों को देखें, समझें, अमल में लाएं, दीन और दुनिया की कामयाबी मिल जाएगी। माह ए मुहर्रम के लिए अल्लाह और उनके रसूल के जो पैगाम और हिदायत हैं, उन पर अमल किया जाना भी हम पर लाजमी है।
काजी ए शहर सैयद मुश्ताक अली नदवी ने यह बात कही। वे शुक्रवार को जुमा की नमाज से पहले अरेरा कॉलोनी कॉलोनी स्थित मस्जिद नुरुल में बयान कर रहे थे। माह ए मुहर्रम के मद्दे नज़र उन्होंने आशूरा के दिन किए जाने वाले कामों की समझाइश दी। शहर काजी ने कहा कि माह ए मुहर्रम का महीना इस्लाम के अहम महीनों में शामिल है। इस महीने में कसरत से इबादत, तिलावत, जिक्र ए इलाही, रोजे आदि का एहतमाम किया जाना चाहिए। काजी ए शहर ने इस माह में रखे जाने वाले रोजे की तुलना रमजान माह के रोजाें से की। उन्होंने कहा कि रमजान के बाद अगर किसी और महीने में रखे जाने वाले रोजों की फजीलत है तो वह सिर्फ मुहर्रम के रोजे की है। काजी साहब ने मुहर्रम महीने की 9 और 10 या 10 और 11 तारीख को रोजा रखने को अफजल बताया। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति दो रोजे न रख पाए तो इन तारीखों में से किसी एक दिन रोजा जरूर रखे। काजी ए शहर ने कहा कि मुहर्रम के नाम पर शुरू कर ली गई बिद्दतें इस्लाम से साबित नहीं हैं, इनसे बचने की सख्त जरूरत है। उन्होंने बयान पूरा करने से पहले पूरी दुनिया की हिफाजत और सबके लिए शांति, सुकून और अमन की दुआ की।
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भोपाल से खान आशु की रिपोर्ट
Author: Admin
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