किसान बदहाल लेकिन खूब फल फूल रहा बीज खाद दवाइयों का कारोबार

सीताराम लोधी- संपादक
सागर। देश मे भले ही कहा जाता है जय जवान जय किसान लेकिन अब हो गया है लूटो किसान बनो धनवान , भारत की अर्थ व्यवस्था का आधार भले ही कृषि है और इसे लाभ का धंधा बनाने के लाखों वादे किए जाते है लेकिन किसान लगातार कर्ज के बोझ तले दबाता जा रहा है, कितनी सरकारें आई गई किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के तमाम दावे किए गए लेकिन स्तिथि जस की तस है, कभी किसान खाद लेने कतारों में खड़ा दिखाई देता है तो कभी फसल बेचने व्यापारियों के सामने गिड़गिड़ाता है लेकिन अपने कर्म नही छोड़ता फिर अपने काम में लग जाता है, अब मुद्दे पर आते हैं आज की स्तिथि में छोटा मध्यम किसान लगातार घाटे में जा रहा है जबकि किसानों की फसलों में उपयोग होने वाले खाद बीज दवाइयों का धंधा धड़ल्ले के साथ खूब फल फूल रहा हैं।किसान की तरक्की में बाधा बने नकली खाद बीज दवाइयों के कारोबार की सच्चाई से रूबरू कराते जो किसान को अजगर की तरह लीलने पर आमादा है।
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आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाला किसान आधुनिक युग से काफी पीछे है कम पढ़ा लिखा होने के कारण आसानी से झांसों में आकर नकली बीज खाद दबाओं का उपयोग फसलों में कर लेता है। ज्यादा मुनाफे के चक्कर में व्यापारियों द्वारा भोलेभाले किसानों को नकली सामान थमा दिया जाता है जिसके उपयोग के कारण उत्पादन तो कम हो ही रहा है जबकि जमीन भी लगातार जहरीली होती जा रही है, गौर करने वाली बात यह है कि किसान असली सामान की कीमत चुकाकर जानकारी के अभाव में नकली बीज दवाइया खरीद रहा है।
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पुख्ता जानकारी अनुसार ज्यादातर व्यापारियों के पास खाद बीज बेचने के लाइसेंस ही नहीं है जबकि धड़ल्ले के साथ दुकानदारी चालू है, पूरे खेल में कृषि विभाग पर भी सवाल उठ रहे हैं जिसे अवैध कारोबार की भनक तक नहीं है, या पूरी दाल ही काली है क्योंकि जिम्मेदारों की सरपरस्ती के बिना बे रोकटोक धंधा चलाना संभव प्रतीत नहीं होता।
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सूत्रों की माने तो बिना लाइसेंस या नकली माल बेचने के एवज में पहले से तय रकम जिम्मेदारों के यहां समय पर पहुंच जाती है।एक व्यापारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कई दुकानें हैं जिनके पास लाइसेंस ही नही है, किसी के पास दवाइयों का है लेकिन खरीफ सीजन में मक्का के बीज बेचें जा रहे हैं जिसमे ज्यादातर नकली बीज बेच किसानों को ठगा जा रहा है।

व्यापारी की माने तो माल बेचने के लिए जरूरी कागजात कंपनी की पीसी या ओ फॉर्म गिनी चुनी दुकानों पर ही मिलेंगे जबकि धड़ल्ले के साथ सामान बेंचा जा रहा है। ऐसे में जिम्मेदारों पर सवाल उठना लाजिमी है क्योंकि दवाइयों के लाइसेंस पर बीज खाद विक्रय करना कैसे संभव है? कीटनाशक दबाओं के लाइसेंस पर जिंक पोटाश सल्फर एनपीके सहित अन्य सामग्री बेची जा रही है जो कानूनन वैध नही है। सूत्रों की माने तो बिना जीएसटी बिल के माल खपाया जा रहा है जिससे इस काले कारोबार से शासन को करोड़ों की चपत लग रही है।
किसानों को सही खाद बीज मिले शासन ने जिनको जिम्मेदारी सौंपी है अपने पदीय कर्तव्य से विमुख होकर नकली कारोबार में सहभागीदार बनकर किसानों के साथ धोखा कर रहे हैं।कई मामलों में किसानों द्वारा शिकायत की जाती है जिसमे कार्रवाई के नाम पर पत्राचार कर इति श्री कर ली जाती है, किसान ने बताया नकली बीज की शिकायत की लेकिन हल्की फुल्की कार्यवाई कर मामले को रफा दफा करने में देर नहीं लगी, इस तरह के कई उदाहरण है।
देवरी विधानसभा के देवरी केसली गौरझामर सहित सुरखी क्षेत्र में खरीफ सीजन में मक्का का रकवा बढ़ा है जिसका फायदा बीज कंपनियों ने उठाया जिसकी बोवनी कर कई किसान रो रहे हैं। किसानों ने बताया बीज कम अंकुरण हुआ है कई किसानों ने दोबारा बोबनी भी कर दी। ऐसे में अब किसान कैसे पनपे, किसानों को कृषि घाटे का सौदा साबित हो रहा है, अब सवाल उठता है बड़े बड़े धनकुबेरों की कंपनियों के नकली बीज के खेल पर अंकुश कौन लगाएगा, किसान की बात करें तो किसी ने जमा पूंजी खर्च कर बीज खाद खरीदा तो किसी ने जेवर गिरवी रखा, घाटा सहकर किसान फिर से काम पर लग गया क्योंकि उसका भी परिवार है उसके बच्चे भी स्कूल जाते हैं, शिकायत करने जायेगा तो इस आफिस उस आफिस के चक्कर लगाना पड़ेगा और विरोध करने कामकाज छोडा तो बच्चे भूंखे मर जायेंगे। पीड़ित किसान ने बताया अगर सरकार सख्ती बरते तो इस काले कारोबार पर अंकुश लग सकता है।
अगले अंक में हम बताएंगे किसानों को कैसे ठगने का काम किया जा रहा है, कैसे इस काले कारोबार ने जड़े जमा ली है, जिसकी परत दर परत हकीकत से रूबरू कराएंगे…… क्योंकि खबरयुग को अपनी जिम्मेदारी का अहसास है।
Author: Admin
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