Bhopal News : जश्न की कामयाबी पर एक और जश्न, मप्र उर्दू अकादमी ने शुक्रिया अदायगी के जोड़ा सभी मददगारों को, जानिए क्या था आयोजन
खान आशु
भोपाल। कार्यक्रमों की भागदौड़ और व्यस्तता अक्सर उन लोगों को भुला देती है, जिनके प्रयासों और मेहनत से सफलता हासिल की गई है। कार्यक्रम पूरा होते ही इन सभी मददगारों को भुला दिए जाने का रिवाज ही समाज में बना हुआ है। मप्र उर्दू अकादमी ने इस किंवदंती को दूर करने की दिशा में एक कदम बढ़ाया है। पिछले दिनों आयोजित किए गए तीन दिवसीय जश्न ए उर्दू को सफल कार्यक्रमों में शुमार किया जा रहा है। अकादमी ने कार्यक्रम के सभी मददगारों को एक बार फिर जोड़ा और प्रतीक चिन्ह के साथ शुक्रिया की अदायगी की। अकादमी निदेशक डॉ नुसरत मेहदी की परिकल्पना का यह दूसरा साल है। गत वर्ष भी इस तरह का आयोजन किया गया था।
मप्र उर्दू अकादमी ने मंगलवार को राज्य संग्रहालय की खूबसूरत वादियों में एक मिलन समारोह रखा। इसमें उन सभी लोगों को खास तौर से दावत देकर बुलाया गया था, जिनकी कोशिशों और मेहनत से पिछले दिनों जश्न ए उर्दू का सफल आयोजन संभव हो पाया था। कार्यक्रम में साहित्यकार, फनकार, कलमकार और शायरों के अलावा राजधानी के विभिन्न अखबारों के पत्रकार भी शामिल किए गए थे। अकादमी निदेशक डॉ नुसरत मेहदी ने वरिष्ठ साहित्यकार डॉ रजिया हामिद की मौजूदगी में सभी मददगारों को प्रतीक चिन्ह के साथ कार्यक्रम में सहयोग का शुक्रिया अदा किया। बाद में हाइ टी के साथ यह कार्यक्रम संपन्न हुआ।
शुक्रिया सभी का किया गया
कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार इकबाल मसूद, सीनियर फोटोग्राफर ताहा पाशा, वरिष्ठ उद्घोषक और शायर बद्र वास्ती शामिल थे तो रंगमंच के कलाकार अदनान खान और उनकी टीम भी मौजूद थी। कार्यक्रम को दिशा देने में सहायक बने रजा दुर्रानी, तसनीम राजा, सोहेब खान, खालिद खान, आरिफ अली आरिफ, डॉ कमर अली शाह कार्यक्रम का हिस्सा थे तो मीडिया सहयोग करने वाले नौशाद कुरैशी, खान आशु, रिजवान शानू, सलमान खान, सलमान गनी आदि को भी प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। पठान अबरार समेत शहर के विभिन्न अखबारों से जुड़े फोटोग्राफर भी इस कार्यक्रम में याद किए गए और सम्मान से नवाजे गए।
शुक्रिया की अदायगी जरूरी : डॉ नुसरत मेहदी
मप्र उर्दू अकादमी निदेशक डॉ नुसरत मेहदी ने कहा कि कोई भी आयोजन किसी एक व्यक्ति के बूते का काम नहीं होता, यह एक सामूहिक प्रयास और कर्म होता है। इसकी सफलता का श्रेय भी सभी को दिया जाना जरूरी है। इसी मंशा के साथ जश्न ए उर्दू की सफलता सभी के साथ बांटने के लिए यह रिवाज शुरू किया गया है। डॉ मेहदी ने कहा कि प्रशस्ति, प्रतीक चिन्ह और शुक्रिया के दो बोल किसी भी व्यक्ति को आगे काम करने का उत्साह देते हैं। ऐसी परंपरा निरंतर रहना चाहिए, यही सफलता की गारंटी है।
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Author: Admin
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