सामाजिक समरसता का नायाब तरीका है जकात : जकात सेंटर इंडिया

भोपाल। अपनी जरूरत और जरूरी खर्चों के लिए सभी कमाते भी हैं और हैसियत के मुताबिक इसका इस्तेमाल भी करते हैं। यह क्रिया हमें सुकून, तसल्ली और सुखद अहसास देती है। लेकिन अपनी कमाई से कुछ हिस्सा निकालकर दूसरे जरूरतमंद लोगों की मदद करना एक बड़े सुकून का अहसास है। इससे दुनिया की कामयाबी तो मिलती ही है, मौत के बाद की आसानियां भी नसीब होती हैं। अल्लाह को खुश रखने का भी यह आसान तरीका है।
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जकात सेंटर इंडिया की भोपाल शाखा द्वारा रविवार को आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही गई। कार्यक्रम में शामिल मेहमानों ने करीब 110 जरूरतमंद लोगों को जकात की राशि के चेक वितरित किए। गौतलब है कि जकात सेंटर शहर, आसपास के जिलों और प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से जकात की राशि जमा करती है। बाद में इस राशि के वितरण के लिए लोगों से आवेदन बुलाए जाते हैं। तमाम तहकीकात और भौतिक सत्यापन के बाद लोगों को उनकी जरूरत के लिहाज से पैसा वितरित किया जाता है।
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कार्यक्रम में मौजूद मेहमानों ने कहा कि इस्लाम इकलौता मजहब है, जिसके मानने वाले अपनी हलाल कमाई का ढाई प्रतिशत हिस्सा जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाता है। इस्लाम के मुख्य आधारों में शामिल जकात की अदायगी की अनिवार्यता सामाजिक समरसता बनाए रखने के लिए ही की गई है। उन्होंने कहा कि बिना किसी दबाव या जबरदस्ती के लोग अपनी संपत्ति का स्व आंकलन कर जकात अदा करते हैं। इस राशि से समाज के कमजोर लोगों को आसानी मिल जाती हैं। जकात सेंटर इंडिया की भोपाल शाखा के सदर शकील खान ने सेंटर की जकात की राशि भेजने वालों का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि इनकी नीयत और मंशा के मुताबिक वास्तविक जरूरतमंद लोगों को जकात का पैसा पहुंचे, इस बात की पूरी कोशिश की जा रही है।
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भोपाल से खान आशु की रिपोर्ट
Author: Admin
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