कारखानों, मॉल, दुकानों में अब देर रात तक महिलाएं दिखेंगी…! सरकार ने इसके लिए सहमति दे दी…! साथ में शर्त भी जोड़ी है…! सुरक्षा के साथ महिलाओं से काम करवा सकेंगे…!
नया नियम आर्थिक समृद्धि तो लाएगा… लेकिन सिद्धांतों और नैतिकता का पतन होगा, उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा…?
सारा दिन काम करके लौटे मर्द को हाथ में जल का लोटा थमाने वाली काम पर है… थके हारे दफ्तर, दुकान, काम से आए पति को मुस्कुरा कर वेलकम करने वाली बाहर रहेगी… काम की थकान को चाय की प्याली से दरकिनार करने वाली पत्नी जॉब पर रहेगी…!
स्कूल, कॉलेज, ट्यूशन के नाम पर घर से बाहर रहने वाली बेटियों के लिए चिंता कम है, अब काम की वजह से भी देर तक सड़कों पर रहेंगी…! पहनावे को लेकर चिंता फैली हुई है, देर रात तक इन कपड़ों में घूमने से क्या यह चिंता दोगुनी न हो जाएगी…? महिला के साथ होने वाले अपराधों में अभी प्रदेश की गिनती आगे है…! नया नियम इस हालात को दोहरा नहीं कर देगा, इसकी क्या गारंटी है…!
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प्रदेश की राजधानी से लेकर इसकी औद्योगिक राजधानी तक में देर रात तक बाजार खोलना प्रतिबंधित किया जा रहा है…! छोटे शहरों में ऐसा कल्चर वैसे ही नहीं है…! गांवों में इसकी कल्पना भी नहीं की जाती…! इन हालात के साथ महिलाओं को रात पाली की इजाज़त को कैसे मुनासिब कहा जा सकता है…? फैसले पर गौर किया जाना चाहिए…! इसके नुकसान ज्यादा हैं… फायदे तो नहीं, ही होंगे….!
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पुछल्ला
सेक्सुअल हरासमेंट पर खुली चर्चा…
एक बड़ा प्रोग्राम। महिलाओं को समर्पित प्रोग्राम। मुखिया जी से किसी महिला ने ही सवाल दागा, सेक्सुअल हरासमेंट पर खुली चर्चा क्यों नहीं? जवाब यह भी दिया जा सकता है कि भारत में इस विषय को लेकर इतना खुलापन नहीं आया है। यहां की संस्कृति इसकी इजाजत नहीं देती। रही बात सज़ा और किए गए कामों के अंजाम की, तो वह कानून का पक्ष है। उसमें सियासत, शासन या प्रशासन क्या कर सकता है!
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😇चकरघिन्नी. कॉम😇
✍️खान आशु
04/जुलाई/2025

Author: Admin
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