चकरघिन्नी : बड़ा हुआ तो क्या हुआ…!

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बड़ा हुआ तो क्या हुआ…!

 

✍️खान आशु

कहते हैं बड़प्पन के साथ झुकने की अदा भी साथ साथ चली आना चाहिए… वरना ऊंचा कद कहीं टकराकर चोटिल हो जाने का कारण बन सकता है…! सड़क, पुल, बिल्डिंग से लेकर हर छुटभैया काम पर कल तक जिनका नाम लहराता था…! शहर ही नहीं राजधानी और आसपास के सूबों तक जिनके नाम का डंका लहराया करता था…! नेता से लेकर मंत्री तक और मंत्रियों के मुखिया के बीच जिनकी पहुंच, आसान आमद और काम करने कराने के रसूख हुआ करते थे…! उनकी सालगिरह पर एक अजीब सा तोहफा उनके सम्मुख है…! सुना है कि पंजाब से आए मेहमान जांच की सौगात लेकर आए हैं…! एक नहीं तीन तीन ठिकानों पर तफ्तीश कर रहे हैं…! ठिकाने वह, जो गुरूर हुआ करते थे…! ठिकाने वह, जो बड़ा हो जाने की कहानी बयां किया करते थे और ठिकाने वह जहां, किसी को भी अपने छोटेपन का अहसास हो जाया करता था…! अब तफ्तीश नामक कलंक सब कुछ धोने को उतावला है…! तफ्तीश चोरी की… तफ्तीश मगरूरियत भरे बरसों के मामलों की और तफ्तीश जब कुछ थे, तो बाकी कोई कुछ नहीं है, समझने की हिमाकत की…!

चढ़ता सूरज ढलता है… को याद न रखकर किसी के सखावत रखने और किसी से अदावत का रवैया रखना भारी पड़ गया है.! सूरज की तेजी ढलान पर है, यह साबित करने के लिए यह कार्यवाही काफी है…! कई वर्ष छिपा जा सकता, लेकिन हमेशा बचा नहीं जाने के संकेत भी हैं यह…! इस बात का इशारा भी, कि जब कोई बड़ा नप सकता है, तो छोटे रसूख वाले खुद ब खुद सम्भल जाएं…!

 

बात सांत्वना की हो…!

प्रदेश में एक हृदय विदारक घटना। होना यह था कि मुश्किल घड़ी में सब मिलकर पीड़ितों को सांत्वना देते। इनके सुधार प्रयासों पर उनकी मीनमेख निकालने की अदा कुछ हजम नहीं हो रही। यह कराहते लोगों को तसल्ली देने में जुटे हैं, तो वह गड़े मुर्दे उखाड़कर इसके ताल्लुक, उसके संबंध, इसकी गलती, उसकी खता खोजने में ही जुटे हुए हैं।

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13/10/2025

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