भैया ऐसा तो नहीं है..
😇चकरघिन्नी. कॉम😇
✍️खान आशु
आज सारा प्रदेश उद्वेलित है। नाराज़ भी, खफा भी और सड़कों पर है…! एक पार्टी के मुखिया और विधानसभा में विपक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले के कहे का विरोध है। देश की आधी आबादी के बारे में कहे गए शब्द शूल बन गए हैं..! महानुभावों ने जो कहा, वह सिर्फ कहने के लिए, सत्ता पक्ष को कटघरे में खड़ा करने और कुर्सी से अपनी पार्टी की दूरी की खीज मिटाने का एक तरीका मात्र था…!
पिछले दिन पार्टी के क्षत्रपों की कही बातों पर पर्दा डालने की कोशिश कहा जाए… या दिल्ली दरबार में अपने प्रदेश से पहुंची बगावत को छुपाने का प्रयास… या फिर साहब बहादुर के निकाले गए फरमान की पर्दादारी, जिसमें उन्हें विरोधी पोस्टें सोशल मीडिया से हटाने के फरमान जारी करने पड़े थे…!
अंतरराष्ट्रीय शायर मंजर भोपाली ने कहा है कि मुद्दतों तोलना, मुख्तसर बोलना…! पर ख्याल रखा गया होता तो वह हालात नहीं देखना पड़ते, जो फिलहाल बने हैं…!
पुछल्ला
इतना भी न बहको साहब
बदबोल जैसे किसी सफलता की कुंजी बन गई है। बुरा बोलो, मुनाफा तोलो के नजारे बन गए हैं। गंगा जमुनी तहजीब का जिसे गहवारा कहा जाता था, उसे साहब ने ऐलान कर दिया कि यह शहर “उनका” नहीं है। शहर की फिज़ा बिगाड़ने से या यह उनका नाम गिनाने से, जिनकी शहर बसाहट में कोई योगदान ही नहीं है, साहब को क्या मिल जाएगा, वही जानें !
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*26/अगस्त/2025*

Author: Admin
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