यह दुनिया का इकलौता ठग होगा, जो खुली घोषणा करता है, ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे हमने ठगा नहीं…! इतनी साफगोई और स्पष्टवादिता की एकमात्र वजह है, स्वाद, क्वालिटी, व्यवहार और ग्राहक के खिंचे चले आने का यकीन और भरोसा। कानपुर की मशहूर ठग्गू की लड्डू दुकान, जहां मुंह मीठा होता है लुभावने स्लोगन से, गर्मी से राहत देती है बदनाम कुल्फी।
खान आशु भोपाल। उत्तरप्रदेश की कमर्शियल और औद्योगिक नगरी कानपुर में स्थित है ठग्गू की लड्डू दुकान। कई तरह के जायकों से मालामाल इस दुकान पर हर मौसम ग्राहकों की कतार नजर आती है। यहां आने वालों के लिए दुकान पर मौजूद लड्डू से ज्यादा ठग्गू की व्यवहार कुशलता ज्यादा तसल्ली देने वाली होती है।
स्लोगन का आकर्षण बड़ा
ठग्गू के लड्डू नाम सुनकर ही लोगों का आकर्षण इस दुकान की तरफ बढ़ जाता है। यहां पहुंचने पर बोर्ड पर लिखा स्लोगन “ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं” आगंतुक के चेहरे पर मुस्कान की मिठास फैला देता है। कदम आगे बढ़ते हैं तो अगला स्लोगन ग्राहक का स्वागत करता है, लिखा है, “मेहमान को चखा नहीं देना, टिक जाएगा…!” इस वाक्य को पूरा करने के लिए अगली पंक्ति लिखी गई है, “चखते ही जुबां और जेब की गर्मी खत्म”! ठग्गू के लड्डू की दुकान पर स्लोगन का सिलसिला यहीं खत्म नहीं होता। इसके आगे भी बहुत कुछ यहां लिखा है, जो ग्राहकों के होंठों पर मुस्कान, मन में गुदगुदाहट और दिल में सुकून वाली तसल्ली पैदा करता है। दुकान के छोटे आकार को लेकर ठग्गू जी ने लिखा है कि “बिकती नहीं फुटपाथ पर तो नाम होता टॉप पर!”
सियासत से जुड़ा पेड़ा
ठग्गू जी की स्लोगन श्रृंखला में सियासी नारे को भी शामिल किया गया है। अपने पेड़े की उत्कृष्टता उद्धत करते हुए बोर्ड पर एक स्लोगन उकेरा गया है, “हमारा नेता कैसा हो, दूध के पेड़े जैसा हो ….!” इसी बात को आगे बढ़ाते हुए ठग्गू जी ने खाने की पवित्रता का उल्लेख किया है। लिखा गया है, “पूर्ण पवित्र, उज्ज्वल चरित्र!”
कुल्फी बदनाम हुई
मटका कुल्फी को एक आकार देते हुए ठग्गू जी ने कुल्फी को कुछ अलग रंगत दी है। इसका स्वाद और आकार प्रकार भी आम मटका कुल्फी से कुछ अलग है। ग्राहकों के खिंचे चले आने की एक बड़ी वजह इसको दिया गया नाम है। ठग्गू जी ने इसको नाम दिया है, “बदनाम कुल्फी।”
पीएम मोदी भी चख चुके स्वाद
कानपुर के फेमस ‘ठग्गू के लड्डू’ की दुकान के लड्डू का स्वाद पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर बड़े बॉलीवुड सितारे तक चख चुके हैं। कई मौकों पर उन्होंने इसका जिक्र भी किया है। इसका स्वाद देश विदेश में प्रसिद्ध है।
‘ठग्गू के लड्डू’ नाम के पीछे है दिलचस्प कहानी
कानपुर शहर के बीचोबीच स्थित है ठग्गू के लडडू की दुकान। छोटी सी दुकान है, लेकिन इसकी चर्चा दूर-दूर तक है और जो भी कानपुर आता है वह बिना ठग्गू के लडडू को चखे बिना नहीं जाता है। इस दुकान के नाम के पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है। दुकान मालिक राजेश पांडे ने बताया कि उनके पिता गांधी जी की सभा में जाया करते थे। वहां उस समय सफेद चीनी के बारे में बताया जाता था कि ये मीठा जहर है। मेरे पिताजी ने सोचा हम भी तो लड्डू बनाते हैं और इसी मीठी चीनी से हमारा लड्डू तैयार होता है यानी हम लोगों का मुंह तो मीठा कर रहे हैं लेकिन कहीं ना कहीं लोगों को ठग भी रहे हैं। तभी से दुकान का नाम ठग्गू के लडडू हो गया।
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कानपुर यात्रा से खान आशु की रिपोर्ट

Author: Admin
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